यादों के झरोखे से " बचपन की फिल्म "
दोस्तों! आज यादों के झरोखे में से एक ऐसी याद आप सभी के समक्ष लेकर उपस्थित हुई हूॅं जो मेरी दीदी ( जहां पर मैं रहती हूॅं उस घर की मकान मालकिन ) ने पूछा था मुझसे। उन्होंने मुझसे पूछा कि तुम्हारे बचपन की ऐसी कौन सी फिल्म है जिसे आप अभी भी कभी-कभी देखती हैं ?"
मैंने उनसे कहा कि सच कहूं तो अब फिल्म मैं बिल्कुल भी नहीं देखती क्योंकि वक्त ही नहीं मिलता देखने का । आदमी जब फुर्सत में हो तभी तो अपने मन की करता है वैसे मुझे फिल्म देखने का पहले बहुत शौक था और देखती भी थी लेकिन अभी फिल्म ना के बराबर ही देख रही हूॅं ।
अब तो ऐसा हो गया है कि कभी टी.वी चलाती भी हूॅं तो हाथ में मोबाइल ही रहता है । टी.वी चलाकर लेखनी के दैनिक प्रतियोगिता के विषय से संबंधित कविताएं या कहानियां ही लिखती रहती हूॅं यही वजह है कि टी.वी देख ही नहीं पाती और जब टी.वी ही नहीं देखूंगी तो फिल्म कैसे देखूंगी ? 😊
दीदी ने कहा कि हाॅं! मैं जब नीचे आती हूॅं तो तुम्हें ऐसे ही देखती हूॅं फिर भी जब कभी देखती थी तब कि मनपसंद फिल्म बता दो?
मैंने कहा कि हाॅं! पहले तो देखती ही थी और जब टी. वी देखती थी तो मुझे एक फिल्म बहुत ही पसंद थी " नदिया के पार " । माॅं ने कहा था कि मुझे गोद में लेकर वह इस फिल्म को सपरिवार सिनेमा हॉल में देखने गई थी। शायद ! यही वजह है कि उस फिल्म से मेरा कनेक्शन अभी तक जुड़ा हुआ है । जब भी वह फिल्म टी. वी पर आती है मैं उस फिल्म को बैठकर पूरी तो नहीं देख पाती लेकिन जितना भी होता है कुछ देर बैठ कर देख ही लेती हूॅं और संजोग से उस फिल्म में नायिका का नाम भी गुंजा ही था ।
माॅं से एक बार मैंने अपने नाम रखने के बारे में पूछा था तो उन्होंने कहा था कि तुम्हें गोद में लेकर मैं नदिया के पार फिल्म देखने गई थी और उसमें नायिका का नाम गुंजा था तो मैंने तुम्हारा नाम गुॅंजन रख दिया।
"अच्छा! तभी तो उस फिल्म से तुम्हारा कनेक्शन जुड़ा हुआ है।" दीदी ने क कहा।
मैंने कहा कि मेरा नाम भी माॅं ने उस फिल्म को देखकर ही रख दिया था । फिल्म से कनेक्शन जुड़ना तो स्वाभाविक ही था यही वजह है कि उस फिल्म को जब भी टी.वी पर आते हुए देखती हूॅं थोड़ी देर बैठ कर आराम से उसके कुछ सीन देख ही लेती हूॅं, अच्छा भी लगता है।
मैंने उस दिन उनसे बात करने के क्रम में एक और फिल्म के बारे में उन्हें बतलाया और उनसे कहा कि जब भी वह फिल्म टी. वी पर आती है उसे देखने के लिए मन एकदम से देखने बैठ ही जाता है । उस फिल्म का नाम है " थ्री इडियट " ना जाने कितनी बार मैंने यह फिल्म देखी होगी, याद ही नहीं है लेकिन जब भी टी. वी पर आते हुए देखती हूॅं , हर बार यही मन करता है कि थोड़ा सा बैठ कर देख ही लूं और देख भी लेती हूॅं ।
सच में उस दिन उनके साथ फिल्मों की बातें कर बहुत अच्छा लगा था और आज आप सभी से उस संस्मरण को साझा करते हुए भी बेहद खुशी हो रही। आगे भी खुशियों भरा संस्मरण लेकर फिर से हाजिर हो जाऊंगी लेकिन जाने से पहले आप सभी से इतना अवश्य कहूंगी 👇
🤗🤗आप सभी अपना ख्याल रखना, खुश रहना और सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा हंसते - मुस्कुराते रहना 🤗🤗
गुॅंजन कमल 💗💞💓
Renu
11-Dec-2022 03:19 PM
Wow 🤗🤗 फिल्म की नायिका के नाम पर आपका नाम रखा गया
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Rajeev kumar jha
11-Dec-2022 12:27 PM
बेहतरीन
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Mahendra Bhatt
11-Dec-2022 09:41 AM
शानदार
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